MONEY SYSTEM - EXPLAINED source : www.mmmindia.in


आम इंसान के लिए पैसे की परिभाषा जानना बहुत जरुरी है। एक और जब से पैसे का निर्माण किया गया तब से आम इंसान इसको पाने के लिए जद्दो जहद कर रहा है, पर इस को अपने जरुरत के लिए पा ना सका। एक बड़े ही कठिन खेल में उलझ गया आम इंसान। पैसा आगे होता है और आम इंसान उसके पीछे ...क्या राज है इसका ? 

 
कई हजारो साल पहले कुछ चुनिंदे रईस समूहों (फ़ेडरल रिज़र्व ) ने समाज मे पैसा नामक चलन शुरु किया जिससे वो जनता को गुलामों की तरह इस्तेमाल कर सके। जब इन समूहों ने पैसा शुरु किया तब उन्होंने उसकी छपाई तथा सप्लाई का संपूर्ण नियंत्रन अपने कब्जे मे रखा। 
पैसा सब प्रगति के लिए बाधा है। 
पैसा पृथ्वी पर सब दुखों का कारण हैं। 
पैसा समाज में सकल जुदाई और अलगाव के लिए प्रमुख योगदान कारक है। 
पैसा ही ९९% अपराध को बढ़ावा देता है। पैसा ही परिवारों को अलग अलग करता हैं। 
पैसा ही उन सात घातक पाप जैसे : अहंकार, ईर्ष्या, लोलुपता, लालच, जलन , वासना और कुरुपता को जनम देता है। 


 
इस का मूल कारण यही है की हम सही तरह से समज नहीं पाये है की पैसा बनता कैसे है, और इसे पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए। असल बात ये है की हम पैसे को इतनी एहमियत क्यों देते है? हम सब ने इन पैसो को इतना महान बना दिया है की इसके बगैर हम अब सांस भी नहीं ले सकते। 

 
यह आमिर लोगो ने बनाई हुई व्यवस्था (फ़ेडरल रिज़र्व ) है। जिनका मूल उद्देश ये है की अमीरी के नीचे गरीबी हमेशा दबी रहे और सब गरीब इंसान इनके गुलाम बनते रहे। फ़ेडरल रिज़र्व ने तैयार किया हुआ चलन मतलब डॉलर कि मोनोपॉली को खत्म करने के लिए अलग अलग समूहों ने कोशिश तो की मगर नाकामयाब रहे। इस का मूल कारण ये था की जिन जिन समूहने ये फ़ेडरल रिज़र्व को खत्म करने का प्रयास किया उन सभी का संघर्ष लंबे समय तक नहीं चल पाया, ना इन सब का एक मजबूत संघटन बन पाया। विश्व की इतनी बड़ी व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए एक बड़ी सोच और मजबूत विशाल काय संघटन की जरुरत होती है।  

 
हम जिसे मानते है वो बड़ा बनता जाता है। देखिये ज़रा पिछले २००० वर्षों से सभी रईस समूह इस व्यवस्था के जरिये अपना परचम लहरा रहे है। इसलिए इसका इलाज एक ही है। समाज से पैसे या चलन की संकल्पना को ही खतम कर देना होगा। और एक नयी व्यवस्थाका निर्माण करना होगा जिस के कारण इस दुनिया में कोई अमीरी या गरीबी ना रहे, अमीर और गरीब की परिभाषा इन लोगोने बनाई है ! जिसके पास ज्यादा पैसा हो वो अमीर और जिसके पास नहीं वो गरीब। 

 
अगर हमें इस को बदलना हो तो हम सब मिलकर इस व्यवस्था को बदल सकते है। इस बात को गहन विचारो के साथ जब सर्गेई माव्रोडी ने सोचा तो उसे लगा की इस आमिर लोगो की व्यवस्था को खत्म किया जाए और ये मुमकिन है। इस दौरान उन्होंने एम एम एम नामक एक सिस्टम बनाया और इस आमिर लोगो की व्यवस्था को ललकारा। दुनिया में एक मात्र एम एम एम ऐसा सिस्टम है जो इस अमीरो की व्यवस्था को नेस्तनाबूद कर सकता है। इस के लिए हम सब आम इंसान को एक संघटन में एक साथ जुड़कर काम करना होगा तब जाकर इस व्यवस्था को हम सब खत्म कर सकते है। 
सर्गेई माव्रोडी जी की विचारधारा के अनुसार हमें इस फ़ेडरल रिज़र्व की मोनोपोली को खतम करने के लिये आम आदमी के हाथों एक दूसरा चलन प्रस्थापित करना जरुरी हो गया हैं। और इस चलन का नाम हैं "मावरो " और सेर्गेई माव्रोडी जी ने उसी व्यक्ति को ये "मावरो" देने की बात की है जिसके मन मे दूसरों को मदद करने कि भावना हो। जिस तरह फ़ेडरल रिज़र्व डॉलर की छपाइ और लेन देन करते है वैसे ही अब एम एम एम द्वारा आम आदमी ये "मावरो" का लेन देन कर सकेंगे। पुरे विश्व में सभी आम इन्सान इस चलन को ईस्तमाल करना शुरु करेंगे और बड़ी मात्रा मे कर रहे है। भारत एक विशाल देश है और एम एम एम के माध्य्म से ये मावरो हर घर मे पहुँचनी चाहिए। 
आइये इस विचारधारा को हम सब मिलकर भारत के हर घर मे पहुंचाए।
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Abhishek Anand

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